पांच साल से कम उम्र के दो तिहाई से ज्यादा बच्चे एनीमिया के शिकार

- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार आंकड़ा 67 फीसदी

नई दिल्ली। देश में पांच साल से कम उम्र के दो तिहाई से ज्यादा बच्चे एनीमिया के शिकार हैं। यह खून में लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या या हीमोग्लोबिन की कम मात्रा के कारण होता है। इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच के मुताबिक, पांच वर्ष से कम आयु के 67 फीसदी बच्चे एनीमिया से पीड़ित हैं। इसमें 59 फीसदी किशोरी व 31 फीसदी किशोर शामिल हैं।
19 वर्ष तक आयु वर्ग में इस समस्या ने निपटने के लिए बुधवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हुई। नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस्ड रिसर्च ऑन एनीमिया,
बाल चिकित्सा और किशोर पोषण (पैन) व अन्य के सहयोग से भारत को 2047 एनीमिया मुक्त बनाने के लिए काम किया जाएगा।
इस बैठक में एम्स के निदेशक प्रो. एम. श्रीनिवास, नीति आयोग के सदस्य प्रो. विनोद के. पॉल, डॉ चंद्रकांत एस पांडव, डॉ. राजीव बहल, डीजी, आईसीएमआर ने इस विषय पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से एनीमिया से मुक्ति के लिए दस बिंदु सुझाए हैं।
बाॅक्स
इन बिंदुओं पर हुई चर्चा
डॉ. कपिल यादव ने बताया कि बैठक में दस बिंदुओं पर सहमति बनी है। इसमें एनीमिया को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या मानकर हल निकालना, ब्लॉक स्तर तक बच्चों में एनीमिया की पहचान व इलाज के लिए मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण, 0-19 साल तक के बच्चे में एनीमिया की जांच के लिए नियम बनाना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का सुदृढ़ीकरण व अन्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना, निजी और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले व बाहर के बच्चों पर विशेष ध्यान देना। खाद्य प्रणाली को सक्षम करने वाले बच्चों में एनीमिया को नियंत्रित करने के लिए आहार संबंधी दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित करना, ‘बेबी फ्रेंडली अस्पताल’ की तर्ज पर सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को ‘चाइल्ड फ्रेंडली’ अस्पताल में अपग्रेड करना, प्राथमिक और मध्य विद्यालय से उच्चतर माध्यमिक और वरिष्ठ विद्यालय तक विद्यालय भोजन कार्यक्रम का विस्तार करना, बच्चों में एनीमिया को मिशन मोड में देखने के लिए हर महीने एक निश्चित दिन पर एनीमिया दिवस का आयोजन करना और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बच्चों के लिए एनीमिया एलायंस की स्थापना करना शामिल है।
Leave A Reply

Your email address will not be published.