प्रदूषण बना रहा बच्चों को सांस का मरीज

- नेबुलाइजर के लिए अस्पताल आ रहे बच्चों की बढ़ी संख्या

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण नौनिहालों को सांस का मरीज बना रहा है, पिछले कुछ समय से दिल्ली के अस्पतालों में सांस की तकलीफ के साथ आ रहे बच्चों की संख्या बढ़ रही है। ज्यादातर बच्चों को नेबुलाइजर देना पड़ रहा है। डॉक्टरों की माने तो बच्चे आसानी से प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं। इन्हीं बुजुर्गों की तरह ही ज्यादा बचाव की जरूरत है। मौसम में बदलाव के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है। दिल्ली के कई इलाकों में प्रदूषण स्तर 400 तक पहुंच रहा है। ऐसे में बड़ी संख्या में बच्चे प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं।
इस बारे में लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि अस्पताल आ रहे 15 साल से छोटे बच्चों की संख्या में 5-6 फीसदी की बढ़त दर्ज की जा रही है। यहां आ रहे ज्यादातर बच्चों को नेबुलाइजर देना पड़ रहा है। ज्यादातर बच्चे सांस लेने में दिक्कत के साथ आंखों में जलन की ‌शिकायत करते हैं। इनमें ऐसे बच्चे भी शामिल हैं जिन्हें पहले कोई बीमारी नहीं थी। वहीं पहले से जिन बच्चों में अस्थमा या दमा की समस्या थी उनकी दिक्कत और बढ़ गई है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में बढ़े प्रदूषण स्तर के दौरान बच्चों को घरों से बाहर न जाने दें। यदि जरूरत पड़ती है तो मास्क लगाकर ही बाहर भेजें। उन्होंने कहा क‌ि बच्चे आसानी से प्रदूषण की चपेट में आ जाते हैं।
वहीं एक रिसर्च में सामने आया है कि बच्चों में सांस फूलने के मामले बढ़े हैं। पिछले कुछ सालों में इनहेलेशन थेरेपी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बार-बार खांसी और सांस फूलने की समस्या के कारण बच्चों को ये थेरेपी दी जाती हैं।
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