नई दिल्ली।ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस द्वारा नई दिल्ली के राजेंद्र भवन में प्रोफेसर मुश्ताक अहमद की अध्यक्षता में तिब यूनानी में करियर’ मुल्क और बेरून मुल्क शीर्षक से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। पहले सत्र में ‘एनसीआईएसएम’ भारत सरकार की कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें नैशनल कमीशन फॉर इंडिया सिस्टम ऑफ यूनानी मेडिसीन (एनसीआईएसएम) के अध्यक्ष डॉ. वैद्य राकेश शर्मा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जबकि अतिथि डॉ. वैद्य डीसी कटोच (पूर्व सलाहकार, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार), एनसीआईएसएम सदस्य डॉ. नारायण जाधव, प्रोफेसर मुहम्मद मजाहिर आलम, डॉ. कदरी और गांधी वादी नेता तेजलाल भारती ने गणमान्य व्यक्तियों के रूप में भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. सैयद अहमद खान ने स्वागत भाषण दिया तथा उपरोक्त अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त किये। विशिष्ट अतिथि डॉ. राकेश शर्मा ने यूनानी डॉक्टरों से अपील की कि वे जल्द से जल्द एनसीआईएसएम में अपना पंजीकरण कराएं,अभी यह पंजीकरण निःशुल्क है और इस पंजीकरण के आधार पर वे डिजिटल हो जाएंगे और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो जाएंगे। तेजलाल भारती ने हकीम अजमल खान के जीवन और सेवाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश को धर्मनिरपेक्ष भारत का जो सपना महात्मा गांधी और हकीम अजमल खान ने देखा था, उसके अनुरूप चलना चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया भारत को महात्मा गांधी के देश के रूप में जानती है,j इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम उनकी विचारधारा को दुनिया तक फैलाएं और मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि मैं 90 साल का हूं और यूनानी दवाओं का उपयोग करता हूं। तथा मैं हकीम अजमल खान द्वारा स्थापित किए हुए संस्थानो की देख भाल भी करता हु।
संगोष्ठी के दूसरे सत्र में पद्मश्री प्रो. अख्तरुल वासे और डॉ. सैयद फारूक, प्रो. नफासत अली अंसारी, प्रो. एसएम आरिफ़ ज़ैदी, प्रो. ज़ुल्कफ़ल, डॉ. परवेज़ मियां आदि ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि हमें सकारात्मक सोच के साथ यूनानी चिकित्सा की तहरीक को आगे बढ़ाना होगा ताकि नई पीढ़ी के लिए यह और अधिक फायदेमंद हो। उन्होंने कहा,मसीह-उल-मुल्क हकीम अजमल खा, जिनकी कोशिशों की बदौलत आयुर्वेद और यूनानी को कानूनी अधिकार मिला और आज हम इससे लाभान्वित हो रहे हैं। हकीम अजमल खा एक ऐसे शख्स का नाम है जिन्हें कुदरत ने हर तरह की योग्यताओं से नवाजा था, वह एक साथ एक नेक मुसलमान, एक राष्ट्रीय नेता, एक बेहतरीन डॉक्टर और जुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने वाले स्वतंत्रता सेनानी थे। प्रोफेसर अख्तर-उल-वासे ने कॉलेजों में शिक्षण, उपचार और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही। उन्होंने यूनानी चिकित्सा पद्धति को और अधिक लोकप्रिय बनाने तथा विद्यार्थियों को प्रवेश के तुरंत बाद सबसे पहले उनके मन में यूनानी चिकित्सा पद्धति की ओर आकर्षित करने की अपील की ताकि वे हीन भावना से जागकर शुद्ध यूनानी चिकित्सा पद्धति की ओर आकर्षित हों। डॉ. सैयद फारूक ने आज के संदर्भ में यूनानी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए अच्छे और महत्वपूर्ण सुझाव दिए और कहा कि यूनानी चिकित्सा का भविष्य उज्ज्वल है, छात्रों और जनता के बीच यूनानी चिकित्सा का उचित प्रचार और प्रसार करना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति को छोड़कर लोग फिर से यूनानी और आयुर्वेद की ओर आ रहे हैं, ऐसे में यूनानी कंपनियों को ईमानदारी और निष्ठा से दवाएं बनानी चाहिए,हम मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो और भी लोग जुड़ेंगे।
ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के महासचिव डॉ. सैयद अहमद खान ने सुझाव दिया कि मसीह उल मुल्क हाफिज और हकीम अजमल खान को जल्द से जल्द भारत रत्न दिया जाना चाहिए और हकीम अजमल खान द्वारा स्थापित तिब्बिया कॉलेज (करोल बाग, नई दिल्ली) को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए जिसे सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी गई और निर्णय लिया गया कि इस मांग को पूरी ताकत से आगे बढ़ाया जाएगा।
संगोष्ठी के दौरान, प्रोफेसर अल्ताफ अहमद आज़मी के जीवन और सेवाओं से संबंधित पत्रिका का विमोचन किया गया। दोनों सत्रों में स्टेज का संचालन डॉ. खूबेब अहमद ने किया। इस दौरान देशभर से चयनित यूनानी डाक्टरों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। डॉ. एयू आज़मी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रोफेसर मुहम्मद अख्तर सिद्दीकी को, हकीम अबुल कासिम ज़हरावी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, प्रोफेसर एसएम आरिफ जैदी को, इब्न सिना अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, प्रोफेसर मुहम्मद अहसान फारूकी को, हकीम अजमल खान राष्ट्रीय पुरस्कार, मौलाना हकीम अब्दुल रज्जाक कुरेशी कासमी हकीम अजमल खा राष्ट्रीय पुरस्कार, डा नीलम कुद्दुसी को हकीम अल्ताफ अहमद आज़मी राष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ. अब्दुल्ला को हकीम शकील अहमद शम्सी राष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ. नसीम अख्तर खान को हकीम जियानातुल्लाह राष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ. उज़मा बानो को तबीबा उम्मुल फज़ल राष्ट्रीय पुरस्कार, प्रोफेसर नफ़ात अली को हकीम ज़िया अंसारी को हकीम जियाउद्दीन जिया इलाहाबादी राष्ट्रीय पुरस्कार, अल्लामा कबीरुद्दीन राष्ट्रीय पुरस्कार डॉ. नाजिश एहतेशाम आजमी को, हकीम अब्दुल अजीज खान राष्ट्रीय पुरस्कार डॉ. उसामा अकरम को, हकीम अब्दुल अज़ीज़ राष्ट्रीय पुरस्कार डॉ. मुहम्मद मिन्हाजुद्दीन खान को,हकीम अब्दुल हमीद राष्ट्रीय पुरस्कार डा शफीक अहमद को,
हकीम अब्दुल कलाम गोरखपुरी राष्ट्रीय पुरस्कार डॉ. शफीक अहमद को, डॉ. नियाजुद्दीन सिद्दीकी को हकीम राम लाल माहिर राष्ट्रीय पुरस्कार, डॉ. सैयद मंसूर अली को हकीम खलीफा राष्ट्रीय पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया। जबकि हकीम अजमल खान सुपरस्टार अवार्ड डॉ. कुरत्तुल ऐन ज़हरा ज़ैदी, डॉ. अनीसुर रहमान अजमेरी, डॉ. मुर्शिद इमाम, डॉ. असलम अली, डॉ. हसन अतीक सिद्दीकी, डॉ. लईक अली खान, डॉ. एसएम याकूब, डॉ. शकील अहमद, डॉ. मिर्जा आसिफ बेग, डॉ. एहसान अहमद सिद्दीकी, डॉ. फैजान अहमद सिद्दीकी, डॉ. अतहर महमूद, डॉ. शमसुद्दीन आजाद, डॉ. शब्बीर अहमद अंसारी, डॉ. गयासुद्दीन सिद्दीकी, डॉ. सुलेमान खान, हकीम मंजर सादिक, डा. काजी रजीउद्दीन अहमद, डॉ. एसकेएल हमीदुद्दीन, डॉ. अब्दुल हसीब, डॉ. सदफ मकबूल, डॉ. अबरारुल हक, डॉ. मुजाहिद रजा खान, हकीम याह्या खान, डॉ. इरशाद अहमद, डॉ. उज्मा परवीन, हकीम अता उर रहमान अजमली , हकीम रशादुल इस्लाम, हकीम आफताब आलम, हकीम अरबाबुद्दीन (सदर लेबोरेटरीज), शमशाद अहमद (रेक्स रेमेडीज), हकीम अयाजुद्दीन हाशमी (सिपजर), मुहम्मद जलीस (लीमरा रेमेडीज), हकीम उजैर बकाई (बाकई दवा खाना), मुहम्मद नौशाद (ओलिया हर्बल्स) (अप्सरा हर्बल्स) (भिवंडी, महाराष्ट्र), दवा खाना फैज़ यूनानी (हैदराबाद), इंडियन ड्रग हाउस (मथरा), अमृता नेचुरल्स (जयपुर) और फारूकी ट्रेडर्स (दिल्ली)को सम्मानित किया गया।प्रोग्राम को कामयाब बनाने वाले में डॉ. गयासुद्दीन सिद्दीकी, डॉ. मुहम्मद अरशद गयास, डॉ. शकील अहमद, डॉ. अल्ताफ अहमद, हकीम नईम रजा, हकीम फहीम मलिक, हकीम आफताब आलम, असरार अहमद उज्जैनी, मुहम्मद ओवैस गोरखपुरी और मुहम्मद इमरान कन्नौजी के नाम उल्लेखनीय हैं। प्रोग्राम के संयोजक डॉ. मिर्जा आसिफ बेग ने सभी प्रतिभागियों का शुक्रिया अदा किया।
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