नई दिल्ली। सावन कृपाल रूहानी मिशन एवं मानव एकता सम्मेलन के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित 26वें विश्व आध्यात्मिक सम्मेलन का समापन 20 सितंबर, 2022 को संत दर्शन सिंह जी धाम, बुराड़ी में संपन्न हुआ।
सम्मेलन के समापन सत्र में हजारों की संख्या में एकत्रित लोगों को संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अध्यात्म, ध्यान-अभ्यास और मनुष्य जीवन के सही उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ध्यान-अभ्यास करने से हमें बहुत से बाहरी फायदे होते हैं लेकिन सही मायनों में ध्यान-अभ्यास का सही मकसद केवल अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना है। जब हम ध्यान-अभ्यास करते हैं तो हम अपने अंतर में ये अनुभव करते हैं कि हम शरीर नहीं बल्कि एक आत्मा हैं, जोकि पिता-परमेश्वर की अंश है।
सम्मेलन के समापन अवसर पर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का जन्मदिवस भी था, जिसे दुनियाभर में “अंतर्राष्ट्रीय ध्यान-अभ्यास दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि पिता-परमेश्वर सत, चित्त और आनंद हैं। मनुष्य होने के नाते हम सब उन्हें पा सकते हैं और अपने मनुष्य जीवन के ध्येय को पूरा कर सकते हैं। सच्चाई कहीं बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर है, हमें केवल उससे जानना है। संत-महापुरुष हमें अध्यात्म के रास्ते पर चलाकर हमारी आत्मा को पिता-परमेश्वर से जोड़ने में मदद करते हैं। वे चाहते हैं कि हम सब अपने अंतर में प्रभु-प्रेम का अनुभव करें ताकि हमारे कदम अपने जीवन के मकसद की ओर बढ़ सकें।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने जन्मदिन का सही अर्थ बताते हुए कहा कि संतों-महापुरुषों की शिक्षाओं को अपने जीवन में ढालते हुए हम सभी को अपने अंतर में प्रभु की ज्योति और श्रुति से जुड़कर “आंतरिक जन्मदिन” भी मनाना चाहिए।
इस अवसर पर आदरणीय माता रीटा जी ने विदेशी भाई-बहनों के साथ गुरुवाणी से “लाल मेरे आए हैं” शब्द का गायन किया।
जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अमृतानन्द जी महाराज ने सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि संत राजिन्दर सिंह जी महाराज की आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेम के द्वारा ही हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं और यही शिक्षा हमें अध्यात्म के द्वारा मिलती है।
भगवान आचार्य ने अपने संदेश में कहा कि राजिन्दर सिंह जी महाराज आज पूरे विश्व में ध्यान-अभ्यास के माध्यम से युग परिवर्तन का शंखनाद कर रहे हैं। इनके द्वारा सिखाई गई ध्यान-अभ्यास की विधि को सीखकर आज पूरा विश्व अपनाकर अपने अंतर में प्रभु-प्रेम का अनुभव कर रहा है।
पूज्य श्री विवेक मुनि जी महाराज ने सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि संत राजिन्दर सिंह जी महाराज द्वारा आयोजित इस प्रकार के सम्मेलनों में अध्यात्म और शांति की धारा बहती है। जिससे कि हम केवल बाहर से ही नहीं बल्कि अंतर से भी शांत हो जाते हैं। ये हमें परमात्मा के साथ जोड़ते है, इनके मिलने से हम सबका जीवन धन्य हो गया है।
महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द जी महाराज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि संत राजिन्दर सिंह जी महाराज का संदेश हमें आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने की प्ररेणा देता है। ये आज पूरी दुनिया में अध्यात्म की शिक्षा को फैला रहे हैं क्योंकि इनका जन्म ही पूरी मनुष्य जाति के कल्याण के लिए हुआ है।
महामंडलेश्वर स्वामी देवेनन्दानंद गिरि जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि
प्रेम और आध्यात्मिकता के द्वारा ही पूरे विश्व में शांति की स्थापना की जा सकती है और उसकी जानकारी हमें यहाँ आकर ही मिलती है क्योंकि ऐसा प्रेममय और शांत वातावरण और कहीं देखने को नहीं मिलता।
बेंटो रोड्रिग्स ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे इस शरीर में हमारी आत्मा के साथ-साथ प्रभु भी बसते हैं। जिसका अनुभव हम संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के चरण-कमलों में जाकर ही कर सके हैं।
सम्मेलन के अंत में विभिन्न धर्मों के धर्माचार्यों, विदेशी प्रतिनिधियों और हजारों लोगों द्वारा एक प्रस्ताव पास किया गया कि हम सब दुनियाभर के लोगां को संतों के मार्ग पर चलने, ध्यान-अभ्यास को करने और निष्काम सेवा को भी अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। तभी संपूर्ण विश्व में शांति की स्थापना का सपना साकार किया जा सकता है।
सम्मेलन के समापन सत्र में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने तीन नई पुस्तकों “मन का शुद्धिकरण” ‘आध्यात्मिक विज्ञान’ और ‘दया के फूल’ भाग-5 का विमोचन अपने कर-कमलों से किया।
इस अवसर पर वस्त्र वितरण कार्यक्रम के अंतर्गत ज़रूरतमंद बच्चों, व्यस्कों और बुजुर्गों को कपड़े व जूते आदि का भी वितरण किया गया। इसके अलावा कई समाज-कल्याण संस्थाओं जैसे विशेष तौर पर शांति अवेदन सदन, राज नगर, नई दिल्ली में कैंसर पीड़ित भाई-बहनों को फल, सब्जियाँ और दैनिक जीवन की उपयोगी वस्तुओं का वितरण भी किया गया। इसके साथ-साथ सफदरजंग अस्पताल के शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास विभाग, मिशनरीज़ ऑफ चैरिट, और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के अलावा कई अन्य समाज-कल्याण संस्थाओं में भी मरीजों को खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। सम्मेलन में विश्व के अनेक देशों से आए लगभग 100 प्रतिनिधियों के अलावा भारत के विभिन्न भागों से लाखों की संख्या में आए लोगों ने हिस्सा लिया।