मुख्यमंत्री आवास के निर्माण में अनियमितताओं का ऑडिट करेगा कैग 

- शुरुआती लागत थी 15-20 करोड़, पहुंच गया 53 करोड़ रुपये तक 

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के पुनर्निर्माण में हुए अनियमितताओं और उल्लंघन की जांच के लिए भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कैग विशेष ऑडिट करेगा।
गृह मंत्रालय ने उपराज्यपाल सचिवालय से प्राप्त 24 मई के पत्र के आधार पर कैग से विशेष ऑडिट करने की सिफारिश की है। पत्र में कहा गया था कि प्रथम दृष्टया में मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास 6, फ्लैग स्टाफ रोड सिविल लाइन्स के नवीनीकरण में प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं की ओर इशारा करती हैं।
बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा था कि मीडिया में हुई कथित अनियमितताओं की रिपोर्ट के बाद दिल्ली के मुख्य सचिव को जांच के लिए कहा गया था। मुख्य सचिव ने 27 अप्रैल को इस मामले पर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही 12 मई को पीडब्ल्यूडी के प्रभारी मंत्री की मिलीभगत से नियमों, विनियमों और दिशानिर्देशों में उल्लंघन का मामला सामने आया। अपने पत्र में उपराज्यपाल ने कहा कि जब दिल्ली कोरोना महामारी से जूझ रही थी, उस समय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने आवास में असाधारण व्यय करवा रहे थे।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मिली अनियमितताएं
– नवीनीकरण के नाम पर पीडब्ल्यूडी ने नए भवन को किया प्रभावित
– निर्माण शुरू करने से पहले पीडब्ल्यूडी ने संपत्ति के स्वामित्व का नहीं लगाया पता
– पीडब्ल्यूडी ने भवन योजनाओं की अनिवार्य और पूर्व-आवश्यक मंजूरी भवन समिति से नहीं ली
– प्रारंभ में प्रस्ताव मुख्यमंत्री के आवास में अतिरिक्त जगह प्रदान करने का था
– बाद में मौजूदा भवन को ध्वस्त करने के बाद पूरी तरह से नए निर्माण के प्रस्ताव को मंत्री ने दी मंजूरी
– निर्माण कार्य की शुरुआती लागत थी 15-20 करोड़ रुपये
– निर्माण लागत को समय-समय पर बढ़ाया गया, कुल 527124570 रुपये हुए
– कुल खर्च की रकम प्रारंभिक अनुमान से तीन गुना से अधिक रही
– रिकॉर्ड बताता है कि प्रमुख सचिव (पीडब्ल्यूडी) के अनुमोदन से बचने के लिए कुल राशि को 10-10 करोड़ करके विभाजित कर के दिखाई गई।
– नियम के तहत 10 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय मंजूरी देने की शक्तियां प्रमुख सचिव के पास है।
– एमपीडी-2021 का घोर उल्लंघन हुआ, जो भूमि और स्थानिक विकास/पुनर्विकास के मामलों में भूमि का कानून है, सामने लाया गया है।
– भवन निर्माण के लिए पेड़ों की कटाई की मंजूरी पांच बार में ली। कुल 28 पेड़ों की कटाई हुई जबकि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के अनुसार, 10 से अधिक संख्या के पेड़ों की कटाई/प्रत्यारोपण के लिए सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी लेनी होती है।
– पेड़ों की कटाई से जुड़ा मामला एनजीटी के समक्ष लंबित है।
विपक्ष की आवाज दबाना चाहता है केंद्र : आप 
कैग जांच पर निशाना साधते हुए आम आदमी पार्टी का कहना है कि भाजपा आप के बढ़ते ग्राफ से डर रही है। यहीं कारण है कि राजनीतिक विरोधियों की आवाज दबाने के लिए केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। मुख्यमंत्री आवास के पुनर्निर्माण में खर्च की जांच पिछले साल कैग कर चुका है। इसमें एक पैसे की गड़बड़ी भी नहीं मिली। अब दोबारा से उसी कैग जांच का आदेश देना भाजपा की हताशा को उजागर कर रहा है। किसी मामले की कैग से जांच कराना एक निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, लेकिन केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के अधिकारों पर अतिक्रमण कर रही है। भाजपा आप पर  आबकारी घोटाला और आवास के पुनर्निर्माण में गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगा रही है। जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है। इसके तहत विपक्ष के नेताओं को एक-एक कर निशाना बनाया जा रहा है। आप का कहना है कि भाजपा को साथ में मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाला, अयोध्या राममंदिर में चंदा घोटाला, असम के मुख्यमंत्री के घोटाले की भी कैग या अन्य केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराई जानी चाहिए।
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