संविधान बचाने का यह आंदोलन होगा सफल: केजरीवाल
-केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ आप का शक्ति प्रदर्शन
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के विरोध में आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को रामलीला मैदान में महारैली का आयोजन किया गया। इस महारैली के जरिये आप ने शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से 12 साल पहले हम लोग इसी रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ इक_ा हुए थे और आज इसी मंच से एक अहंकारी तानाशाह को इस देश से हटाने और तानाशाही को खत्म करने के लिए इक_े हुए हैं। जैसे उस समय भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारा आंदोलन सफल हुआ था। वैसे ही मुझे पूरी उम्मीद है कि इस मैदान से देश से तानाशाही को खत्म करने और संविधान को बचाने के लिए शुरू हुए इस आंदोलन को भी जल्द सफलता मिलेगी। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के लोगों ने आठ वर्षों तक कोर्ट में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दिल्ली के लोगों की तरफ से लड़ाई लड़ी। आज से ठीक एक महीने पहले 11 मई को देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दिल्ली के लोगों के हक में आदेश पारित किया। मगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आठवें दिन 19 मई को देश के प्रधानमंत्री ने खारिज कर दिया। केजरीवाल ने कहा कि भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार एक ऐसा प्रधानमंत्री आया है, जो कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता। इस बात से पूरे देश के लोग स्तब्ध हैं। देश के लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि प्रधानमंत्री इतने अहंकारी हैं। देश की हर गली-हर घर में चर्चा हो रही हैं कि मोदी को ये क्या हो गया है? जब देश का प्रधानमंत्री कहता है कि मैं सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानता, इसी को तानाशाही और हिटलरशाही कह जाता हैं और इसे ही जनतंत्र को खत्म होना भी कहते हैं।
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अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया: केजरीवाल
सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिल्लीवालों को समझाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बोला कि भारत जनतंत्र है, यहां जनता ही सुप्रीम है। जनता अपनी सरकार चुनती है। इसलिए उस सरकार को जनता का काम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में लोग जिस भी पार्टी की सरकार चुनते हैं, उस सरकार को काम करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दिल्ली की जनता से प्रश्न किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने गलत बोला? क्या प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानना चाहिए? मगर पीएम मोदी कहते हैं कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानता। इसलिए उन्होंने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। पीएम मोदी का अध्यादेश कहता है कि अब दिल्ली में जनतंत्र नहीं होगा और तानाशाही चलेगी। अब यहां जनता सुप्रीम नहीं होगी बल्कि एलजी सुप्रीम होगा। अब दिल्ली की जनता चाहे जिस भी पार्टी या व्यक्ति को वोट देकर सरकार बनाए, लेकिन पीएम मोदी कहते हैं कि जनता सुप्रीम नहीं है उनकी चुनी हुई सरकार की नहीं चलेगी, एलजी के जरिए मैं सरकार चलाऊंगा और मेरी तानाशाही चलेगी।
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अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया: केजरीवाल
सीएम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिल्लीवालों को समझाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बोला कि भारत जनतंत्र है, यहां जनता ही सुप्रीम है। जनता अपनी सरकार चुनती है। इसलिए उस सरकार को जनता का काम करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में लोग जिस भी पार्टी की सरकार चुनते हैं, उस सरकार को काम करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने दिल्ली की जनता से प्रश्न किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने गलत बोला? क्या प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट का आदेश नहीं मानना चाहिए? मगर पीएम मोदी कहते हैं कि मैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानता। इसलिए उन्होंने अध्यादेश पारित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। पीएम मोदी का अध्यादेश कहता है कि अब दिल्ली में जनतंत्र नहीं होगा और तानाशाही चलेगी। अब यहां जनता सुप्रीम नहीं होगी बल्कि एलजी सुप्रीम होगा। अब दिल्ली की जनता चाहे जिस भी पार्टी या व्यक्ति को वोट देकर सरकार बनाए, लेकिन पीएम मोदी कहते हैं कि जनता सुप्रीम नहीं है उनकी चुनी हुई सरकार की नहीं चलेगी, एलजी के जरिए मैं सरकार चलाऊंगा और मेरी तानाशाही चलेगी।
दिल्ली सरकार से केंद्र ने छीनीं शक्तियां: कपिल सिब्बल
राज्यसभा सांसद और वकील कपिल सिब्बल कहा कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सभी अधिकारियों, सेक्रेटरी होम, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, सेक्रेटरी टू डिपार्टमेंट आदि की जिम्मेदारी मंत्रिमंडल की होगी। यानी कि उन्हें मंत्रिमंडल के आदेशों का पालन करना पड़ेगा। इसके बाद इन्होंने 19 मई 2023 को एक अध्यादेश जारी कर दिया। इन्होंने अध्यादेश के अंतर्गत कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चाहे जो कहा हो, लेकिन हम नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट-1991 में संशोधन करते हैं। इसके अंतर्गत एक कमेटी गठित करते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री चेयरमैन होंगे और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम व चीफ सेक्रेटरी शामिल होंगे। यदि आम सहमति से फैसले नहीं होते है तो बहुमत से फैसले होंगे। कमेटी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम व चीफ सेक्रेटरी-दो ब्यूरोक्रेट्स है। जोकि केंद्र सरकार के ब्यूरोक्रेट्स हैं। ऐसे में कमेटी में शामिल दो ब्यूरोक्रेट्स का फैसला चुनी हुई सरकार के खिलाफ भी हो सकता है। अगर मुख्यमंत्री का फैसला नहीं चलने वाला तो फिर ब्यूरोक्रेसी ही दिल्ली चलाएगी। यदि मुख्यमंत्री की बात नहीं मानी जाएगी, ऐसे में अवैध होने पर लेफ्टिनेंट गवर्नर अपने स्तर पर खुद फैसला करेगा। यानी कि सारी पावर लेफ्टिनेंट गवर्नर को दे दी। अगर आम सहमति न हो तो मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री को जीरो कर दिया। सारी पावर ब्यूरोक्रेट्स को दे दी और फैसला केंद्र सरकार करेंगी।
राज्यसभा सांसद और वकील कपिल सिब्बल कहा कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि सभी अधिकारियों, सेक्रेटरी होम, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, सेक्रेटरी टू डिपार्टमेंट आदि की जिम्मेदारी मंत्रिमंडल की होगी। यानी कि उन्हें मंत्रिमंडल के आदेशों का पालन करना पड़ेगा। इसके बाद इन्होंने 19 मई 2023 को एक अध्यादेश जारी कर दिया। इन्होंने अध्यादेश के अंतर्गत कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने चाहे जो कहा हो, लेकिन हम नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट-1991 में संशोधन करते हैं। इसके अंतर्गत एक कमेटी गठित करते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री चेयरमैन होंगे और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम व चीफ सेक्रेटरी शामिल होंगे। यदि आम सहमति से फैसले नहीं होते है तो बहुमत से फैसले होंगे। कमेटी में प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम व चीफ सेक्रेटरी-दो ब्यूरोक्रेट्स है। जोकि केंद्र सरकार के ब्यूरोक्रेट्स हैं। ऐसे में कमेटी में शामिल दो ब्यूरोक्रेट्स का फैसला चुनी हुई सरकार के खिलाफ भी हो सकता है। अगर मुख्यमंत्री का फैसला नहीं चलने वाला तो फिर ब्यूरोक्रेसी ही दिल्ली चलाएगी। यदि मुख्यमंत्री की बात नहीं मानी जाएगी, ऐसे में अवैध होने पर लेफ्टिनेंट गवर्नर अपने स्तर पर खुद फैसला करेगा। यानी कि सारी पावर लेफ्टिनेंट गवर्नर को दे दी। अगर आम सहमति न हो तो मंत्रिमंडल और मुख्यमंत्री को जीरो कर दिया। सारी पावर ब्यूरोक्रेट्स को दे दी और फैसला केंद्र सरकार करेंगी।