पुलिस कर्मियों की समस्याओं पर गृहमंत्रालय एक आयोग गठित करे :छिद्दा सिंह रावत

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस सेवानिवृत्त अराजपत्रित अधिकारी एसोसिएशन ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय विधि संस्थान में एक कार्यक्रम आयोजित कर दिल्ली पुलिस कर्मियों की दुर्दशा का आईना देखने के लिए गृहमंत्रालय से एक आयोग गठित करने की माँग की। पुलिस कर्मियों की मूलभूत समस्याऐं की तरफ़ सरकार का ध्यान खीचते हुए एसोसिएशन के अध्यक्ष छिददा सिंह रावत ने कहा कि हमने सरकार को एक महीने में गम्भीरता पूर्वक विचार करने के लिए कहा है। इस दौरान हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हम अहिंसक आंदोलन करने को बाध्य होंगे। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के अतिरिक्त निदेशक रहे हरिराम सिंह मौजूद थे। इस मौके पर उत्तरप्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह ने अपना संदेश भेजकर पुलिस कमिर्यों की समस्याओं के लिए जनता को शामिल करने का सुझाव दिया।


‘पुलिस सुधारों के बिना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा असंभव’, नामक इस संगोष्ठी में हरि राम सिंह ने कहा कि हम सरकार को दशकों से चली आ रही समस्या की तरफ ध्यान दिलाना चाहते हैं। मसलन देश की राजधानी और देश की सर्वश्रेष्ठ पेशेवर पुलिस बल होने के बावजूद कर्मचारी अनेक विभागीय परेशानियों व वेतन विसंगती का दंश झेल रहे हैं। प्रशासन को इन समस्याओं को हल करने में कोई रूचि नही है। दिल्ली पुलिस माडल पुलिस तब बनेगी जब उनकी समस्याओं पर सरकार तुरंत अमल करे। तब यह विश्व के अन्य बलों के लिए प्रेरणा बनेगी।
छिद्दा सिंह रावत ने कहा कि वकील जब चाहे जहाँ चाहे पुलिस को पीट देते हैं और ऐसे में प्रशासन को साँप सूंघ जाता है। कर्मचारियों और गृहमंत्रालय के बीच पुलिस प्रशासन अवरोध का काम करता है। यहाँ तक की पुलिस मुख्यालय में जिन बातों को जायज माना जाता है जब यहीं माँग पुलिसकर्मियों द्वारा विभिन्न न्यायालयों में उठाई जाती है तो प्रशासन अपने कर्मचारियों के विरोध में तर्क देता है। चंदीगढ़ पुलिस के बराबर वेतन की माँग कई बार दिल्ली पुलिसकर्मियों के पक्ष में होते-होते प्रशासन के दोहरे रवैये के कारण दिल्ली पुलिसकर्मी न्यायालय में न्याय से वंचित रह जाते हैं। अराजपत्रित कर्मचारी का एसोसिएशन न होने का खामियाजा पुलिसकर्मीयों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है। सरकारी आकड़ों के हिसाब से हर वर्ष करीब 8 से 10 महिला, पुरुष पुलिसकर्मी आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं। पिछली सदी के 7वें 8वें दशक में दिल्ली पुलिसकर्मियों की दुर्दशा जानने के लिए केन्द्र सरकार ने जस्टिस जीडी खोसला व जस्टिस धर्मवीर आयोग गठित की थी। इस आयोग ने दुर्दशा का आईना केन्द्र सरकार को दिखाया था। परन्तु पुलिस कमियों के कल्याण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किये गये। दोनों आयोगों ने दिल्ली पुलिसकर्मियों की एसोसिएशन बनाने का सुझाव दिया था। परन्तु आईपीएस अधिकारियों ने अपनी एसोसिएशन तो बना रखी है और अधिनस्थ कर्मियों की एसोसिएशन के नाम से उन्हें चिढ़ है। परिणामतः पुलिस अधिकारी निरंकुश और अपनी सीमा से बाहर जाकर अनैतिक व्यवहार कर जाते है। महासचिव सुरेन्द्र सिन्ह यादव ने कहा कि यह एसोसिएशन केन्द्र सरकार से माँग करती है कि सेवारत दिल्ली पुलिसकर्मियों की दुर्दशा का आईना देखने के लिए एक आयोग का गठन करें। कार्यक्रम में उपाध्यक्ष यशपाल शर्मा सहित भारी संख्या में पुलिस बल के जवान मौजूद थे।

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