10 महीने के अंदर 15 हजार लोगों को दी गई नौकरी: उपराज्यपाल

-दिल्ली में 2010 के बाद हुई प्रिंसिपलों की नियुक्ति

नई दिल्ली। दिल्ली के नवनियुक्त सरकारी कर्मचारियों के नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़े किए। उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 सालों में सरकार के अलग-अलग विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर कोई नियुक्ति नहीं हुई, जो शर्मनाक है। दिल्ली के विज्ञान भवन में बुधवार को आयोजित समारोह में एलजी ने कहा कि उन्हें दिल्ली का एलजी बने 10 महीने पूरे हो गए हैं। पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री से शिष्टाचार मुलाकात के समय उन्होंने सबसे पहले यही पूछा था कि दिल्ली में कितने पद खाली है? तब मैंने करीब 35 हजार पद खाली होने की बात कही थी। एलजी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने इन पदों पर जल्द से जल्द नियुक्ति करने की बात कही थी।

एलजी ने कहा कि इसको लेकर मुख्य सचिव के साथ मीटिंग की गई, जिसके बाद नियुक्तियों को लेकर शुरू हुई प्रक्रिया में तेजी आई थी। 10 महीने के अंदर 15 हजार लोगों को नौकरी दी गई। उन्होंने नियुक्ति पत्र वितरित करते हुए कहा कि यह नियुक्ति पत्र नहीं शपथ पत्र है। जिन्हें भी नियुक्ति पत्र मिला है, वह सरकार का हिस्सा बनने जा रहे हैं। कोई भी पद छोटा नहीं होता। उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति उसे छोटा या बड़ा बनाता है। हमारी कोशिश थी कि परीक्षा बिल्कुल पारदर्शी तरीके से हो। उन्होंने कहा कि इससे पहले फरवरी में 1,200 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया था। यह संभव हो सका क्योंकि मुख्य सचिव और दिल्ली अधीनस्थ चयन सेवा समिति ने मेहनत से काम किया। सरकारी नौकरी सिर्फ आजीविका का साधन नहीं होना चाहिए। यह समाज की सेवा करने का एक मौका है। उन्होंने नियुक्त पत्र पाने वाले लोगों को बधाई देते हुए कहा कि हमें ईमानदारी से काम करने के लिए किसने रोका है। यह नियुक्ति पत्र साधारण नहीं है। समारोह में उन्होंने बताया कि दिल्ली दमकल सर्विस में 2014 के बाद 500 कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है। इससे सेवा और सुदृढ़ होगी और फायर सर्विस के बल में वृद्धि होगी। इन सबकी नियुक्ति पहले ही होनी चाहिए थी। वहीं, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल के पद 2010 से खाली थे, जिनके 324 पदों पर नियुक्ति हुई है। एलजी ने कहा कि सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपलों का नहीं होना चिंता का विषय है। दुख की बात है कि 2010 के बाद प्रिंसिपलों की बहाली नहीं हुई थी। आज उन्हें नियुक्ति पत्र देते हुए काफी प्रसन्नता हो रही है। वह जिम्मेदारी के साथ दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान देंगे।

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