ईवीएम के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी बड़ी रैली

नई दिल्ली। पूर्व सांसद और राष्ट्रीय चेयरमैन डोमा परिसंघ डॉ उदित राज ने बुधवार को बताया कि दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी डोमा परिसंघ  द्वारा 1 दिसंबर 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली का आयोजन करने जा रहा है। अभी तक नागरिक समाज ईवीएम के खिलाफ मुखर होकर धरना- प्रदर्शन कर रहा था और राजनीतिक दल हां और न मध्य फसें हुए थे। 26 नवंबर को ताल कटोरा स्टेडियम से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संशय की स्थिति तोड़ दी और ऐलान किया है कि भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर ईवीएम हटाने के लिए देश व्यापी आंदोलन करेंगे। डोमा परिसंघ ग़ैर राजनीतिक संगठन है लेकिन संविधान और लोक तंत्र को बचाने की बात जो करेगा, उसका समर्थन करेगा। 1 दिसंबर की रैली अगस्त माह से प्रायोजित है और यह इतिफ़ाक है कि ईवीएम हटाने की बात कांग्रेस और अन्य दलों की तरफ़ से भी उठ गई है। लोकतंत्र आज़ादी से जीने की आत्मा है और अगर वह  ख़त्म होता है तो प्रत्येक नागरिक की ज़िम्मेदारी है कि वह उठे और लड़े।
शाहिद अली, राष्ट्रीय महासचिव, डोमा परिसंघ  ने कहा कि वक़्फ़ धार्मिक आज़ादी का हिस्सा है। संविधान की धारा 25 से 30 तक अल्पसंख्यक के अधिकार मौलिक अधिकार के रूप में हैं। वक़्फ़ बिल ग़लत है। इसे वापिस किया जाए। अब केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि दलित, ओबीसी, आदिवासी हमारे साथ मिलकर विरोध कर रहे हैं । देश में झूठा प्रचार किया जा रहा है कि वक़्फ़ बोर्ड मनमाने ढंग से किसी भी प्रॉपर्टी पर दावा कर देता है जो बिल्कुल ग़लत है। कुछ दल यह आरोप लगाते हैं कि तुष्टीकरण का फल है जो बिल्कुल ग़लत है। 1921 में भारत में वक़्फ़ प्रॉपर्टीज का सर्वे किया गया था। जहां इस्लाम है वहां वक़्फ़ है तो कैसे यह कहा रहा है कि इसकी प्रॉपर्टीज अवैध हैं। मैं चुनौती देता हूँ कि कोई भी बहस करे, मैं सिद्ध कर दूँगा कि वक़्फ़ की प्रॉपर्टीज पर अतिक्रमण हुआ है न कि वक़्फ़ बोर्ड ने किसी की प्रापर्टी पर किया है।
ओबीसी नेता सुरेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि जाति जनगणना के बिना ओबीसी का उत्थान असंभव है। मंडल का विरोध किसने किया था? मंडल के ख़िलाफ़ किसने रथ यात्रा निकाला था? हम सब जानते हैं। जाति जनगणना का विरोध कौन कर रहा है? अब दलित, ओबीसी, माइनोरिटीज़ और आदिवासी मिलकर जाति जनगणना की माँग 1  दिसंबर को दिल्ली की रामलीला मैदान में रैली करेंगे। जो दल विरोध करेगा उसका ओबीसी बहिष्कार करेगा।
उपरोक्त कथन संविधान से संबंधित हैं और इसलिए हम कहते हैं संविधान खतरे में है।
डॉ उदित राज ने कहा हमारी अन्य मांगे पुरानी पेंशन बहाली, किसानों को एमएसपी की गारंटी, आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़े, निजीकारण पर रोक लगे और यदि होता है तो उसमें आरक्षण हो, सबको समान शिक्षा मिले, धार्मिक आजादी हो, उच्च न्यायपालिका में आरक्षण मिले, खाली पदों पर भर्ती हो, ठेकेदारी प्रथा समाप्त हो, सरकारी धन से चल रही योजनाओं में आरक्षण मिले, भूमि आबंटन हो, आदिवासियों को जल-जंगल व जमीन से वंचित न किया जाए, आदि हैं।
प्रेस वार्ता में सतीश सांसी, राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर, प्रो. रवि महिंद्रा, राष्ट्रीय महासचिव, विजय बहादुर यादव, उ.प्र. अध्यक्ष, सुरेंद्र कुशवाहा, वरिष्ठ नेता एवं मनोज यादव, उ.प्र.ओबीसी कांग्रेस अध्यक्ष भी उपस्थित थे।
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