नई दिल्ली। पंजाब के संघर्षशील किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और अन्य नेता, जो कि तमिलनाडु में किसान मांगों से संबंधित सम्मेलन में शामिल होने जा रहे थे। उन्हें श्री साहिब पहने होने के कारण हवाई अड्डे के सुरक्षा कर्मियों द्वारा रोका जाना किसानों के प्रति केंद्र की नफरत का प्रदर्शन है। साथ ही यह सिखों की धार्मिक आज़ादी पर भी केंद्र का हमला है। क्या अब अमृतधारी गुरसिख देश में अपने धार्मिक विश्वास के साथ स्वतंत्र रूप से विचरण नहीं कर सकते? क्या यह सिखों के प्रति नस्ली अपराध नहीं है?
केंद्र सरकार ने पहले ही किसान मुद्दों के प्रति जो बेरुखी अपनाई है, जैसे कि किसान इस देश के नागरिक ही न हों, और भाजपा के नेता भी समय-समय पर किसानों के प्रति अपनी नफरत का प्रदर्शन करते रहे हैं। और अब अमृतधारी किसान नेताओं को श्री साहिब पहने होने के कारण रोका जाना साबित करता है कि केंद्र सरकार शासन करने के धर्म का पालन करने में बिल्कुल असफल रही है।
जैसा कि किसान नेताओं ने भी कहा है कि देश में सिखों को गुलामी का एहसास करवाया जा रहा है। एक ओर सरकार खुद को सिख हितैषी बताती है, लेकिन हर मसले पर सिखों से बैर दिखाकर अपने सिख विरोधी होने का प्रमाण देने में कोई कसर नहीं छोड़ती। केंद्र सरकार को चाहिए कि वह अपना अहंकार छोड़कर न केवल किसानों के मुद्दों का समाधान करे बल्कि इस घटना के लिए माफी मांगते हुए संबंधित कर्मियों पर उचित कार्रवाई करे।
इन शब्दों को शिरोमणि अकाली दल की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना द्वारा प्रेस को जारी एक बयान के माध्यम से व्यक्त किया गया।