दरअसल किडनी दिवस के अवसर पर सफदजंग, डॉ. राम मनोहर लोहिया सहित अन्य अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. हिमांशु वर्मा ने बताया कि मोटापा और मधुमेह लोगों को तेजी से किडनी का रोगी बना रहा है। लोगों में बदले लाइफस्टाइल के कारण आज कोई भी इससे अछूता नहीं है। ऐसे में जागरूकता से ही इसे रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में देखने में मिल रहा है कि बच्चों में भी मोटापा बढ़ रहा है जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम को बढ़ाता है। इससे कम उम्र में ही बच्चे भी किडनी रोग का शिकार हो रहे हैं।
वहीं अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि विश्व किडनी दिवस 2024 के अवसर पर अस्पताल विशेष शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 300 से अधिक लोगों की किडनी रोग की जांच हुई। इसके अलावा कर्मचारियों व अन्य ने जागरूकता के लिए वॉक भी आयोजित की।
क्रोनिक किडनी रोग बन रही है चिंता का विषयडॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दिन भर चले कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के निदेशक डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि लोगों में बढ़ती क्रोनिक किडनी रोग चिंता का विषय बन गया है। ऐसे मरीजों में डायलिसिस और प्रत्यारोपण के लिए सरकारी सुविधा है, लेकिन बीच के अंतर को पाटने के लिए जागरूकता बढ़ाना होगा जिससे लोगों को समय पर अंग मिल सकें। वहीं अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि प्रारंभिक पहचान, निवारक उपाय और इष्टतम दवाओं तक पहुंच क्रोनिक किडनी रोग के प्रबंधन में महत्वपूर्ण हैं। इस वर्ष के विश्व किडनी दिवस की थीम समावेशिता की आवश्यकता पर जोर देती है। हमारी कोशिश रहती है कि हर जरूरतमंद को इलाज मिले। वहीं इस मौके पर नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. हिमांशु शेखर महापात्रा ने कहा कि रोग के उपचार के लिए अनुसंधान चल रहे हैं। इनकी मदद से नए तकनीक व उपचार की विधि तैयार होगी।
जागरूकता कार्यक्रम की शुरुआत भाषण और पोस्टर प्रतियोगिताओं से हुई। इसके बाद इस रोग को लेकर चर्चा हुई। साथ ही अंगदान को बढ़ावा देने, किडनी को स्वस्थ रखने सहित अन्य पर चर्चा हुई।