नई दिल्ली। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के मामले में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां समेत 13 लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश और दंगा करने का आरोप तय कर दिया है। एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने आरोप तय करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने इशरत जहां के अलावा जिन आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया उनमें खालिद, विक्रम प्रताप, समीर अंसारी उर्फ समीम, सलीम उर्फ समीर प्रधान, साबू अंसारी, इकबाल अहमद, अंजार ऊर्फ भूरा, मोहम्मद इलियास, मोहम्मद बिलाल सैफी ऊर्फ लांबा, सलीम अहमद ऊर्फ सलीम उर्फ गुंडा, मोहम्मद यामीन ऊर्फ यामीन कूलरवाला और शरीफ खान उर्फ शरीफ खुरेजी हैं। कोर्ट ने इन आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 186, 188, 323, 353, 307 और 34 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक 26 फरवरी, 2020 को खजूरी खास इलाके के मस्जिद वाली गली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस कानून व्यवस्था संभालने के लिए दोपहर 12.15 बजे पहुंची। पुलिस ने भीड़ से हटने की अपील करते हुए कहा कि धारा 144 लगा दी गई है और भीड़ में एकत्र होना गैरकानूनी है। पुलिस की अपील के बावजूद भीड़ नहीं हटी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक आरोपितों ने भीड़ को नहीं हटने और पुलिस बल पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया। उसके बाद भीड़ विरोध प्रदर्शन करने लगी और पुलिस बल पर पत्थर फेंकने लगी। भीड़ ने पुलिस बलों की पिटाई शुरू कर दी और उनके हमलों में कांस्टेबल घायल हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक भीड़ की तरफ से पुलिस बलों पर गोलियां भी चलाई गईं। भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग की गई। मौके पर से पत्थर, लोहे के सरिये, डंडे और पांच खाली कारतूस बरामद किए गए। फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ लोग घायल हुए थे।