नई दिल्ली। देशभर के शिखर ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों और विद्यार्थियों के बीच ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर विगत दिनों गहन चर्चा हुई। इस सम्मेलन का आयोजन राजधानी के विज्ञान भवन में मां शारदा ज्योतिष धाम अनुसंधान संस्थान, इंदौर की तरफ से किया गया था।
इस अवसर पर अपना शोध पत्र पढ़ते हुए ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के विद्वान पंडित जय प्रकाश शर्मा ‘त्रिखा’ ने कहा कि ज्योतिष वेदों का नेत्र है। ये शास्त्र अंधेरे से उजाले की तरफ लेकर जाता है। ज्योतिष शास्त्र हमारे रामायण, महाभारत और वेदों का अंग है। ये हमें भाग्यवादी नहीं, अपितु कर्मवादी बनाता है। मुंबई से आए ड़ॉ. शर्मा ‘त्रिखा’ ने कहा कि हमारी बिरादरी को गहन अध्ययन के बाद ही भविष्यवाणियां करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि ज्योतिष, विज्ञान और आध्यत्मिकता का समन्वय है।
इस सम्मेलन में एक आम राय यह भी बनी किकई तथाकथित ज्योतिषि सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए अनाप-शनाप भविष्यवाणियां कर देते हैं। ये तीन महीने के ज्योतिष के अध्ययन के बाद कुंडलियां देखने और बताने लगते हैं। आज 36 गुणों में 34 गुण मिलने पर विवाह हो रहे हैं। इसके बाद विवाह टूट भी हो रहे हैं। वहीं, फैमिल कोर्ट में पति-पत्नियों के विवाद के केस बढ़ते जा रहे हैं। यह सब क्यों हो रहा है? इसका कारण ये है कि ज्योतिषी सही तरीके से तमाम योगों को नहीं देखते। वे सिर्फ गुणों के आधार पर ही कह देते हैं कि ये विवाह ठीक है, वो विवाह ठीक नहीं है।
इसी सम्मेलन में केन्द्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया गया कि वे ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन और शोध को बढ़ावा देने के लिए ठोस योजनाएं लेकर आए।
सम्मेलन में देश के जाने-माने ज्योतिषियों और विद्वानों ने अपने-अपने विचार रखे। इनका मानना था कि ग्रहों का बारीकी से अध्ययन करना जरूरी है।
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