मरीज भेजने वाले एजेंट को देता था 35 प्रतिशत का कमीशन
-डॉ. नीरज मरीजों को कम दामों को सर्जरी करने के लालच में फंसाता था
नई दिल्ली । ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 स्थित अग्रवाल मेडिकल सेंटर फर्जीवाड़े मामले में पुलिस रडार पर एक दर्जन से ज्यादा एजेंट हैं। जिसमें सरकारी अस्पतालों में तैनात कर्मचारी, मेडिकल स्टोरी चलाने वाले और कई सफाई कर्मी शामिल है। यह एजेंट मरीज के पूरे बिल का 35 प्रतिशत कमीशन के वादे के साथ उन्हें मेडिकल सेंटर में सर्जरी के लिए भेजते थे। जहां डॉ. नीरज और उनकी टीम सस्ते दाम में सर्जरी और बाकि इलाज करने का लालच मरीजों और उनके रिश्तेदारों को देता था। जिसके चलते मरीज मेडिकल सेंटर में उपचार के लिए आते थे। पुलिस आरोपी डॉ. के एक एजेंट को गिरफ्तार भी कर चुकी है।
प्रसव की सर्जरी मात्र 6 हजार रुपए में
आरोपी डॉ. नीरज ने बताया कि वह सरकारी अस्पतालों और गरीब तबके के लोगों की सर्जरी सस्ती करते थे। डॉ. नीरज प्रसव के लिए आने वाले महिलाओं की सर्जरी की एवज में केवल 6 हजार रुपए और पथरी के ऑपरेशन के लिए 15 से 20 हजार रुपए लेता था। इसके अलावा आरोपी डॉक्टर ने बताया कि खुद से आने वाले मरीजों के लिए अलग से रकम तय की जाती थी।
गिरफ्तार आरोपी 50 से ज्यादा मरीज
पुलिस ने डॉक्टर नीरज के एक एजेंट जुल्फिकार को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने बताया कि उसके और डॉ. नीरज के बीच एक डील हुई थी कि वह जितने मरीजों को डॉ. नीरज के पास भेजेगा, डॉ. नीरज हर मरीज के कुल बिल अमाउंट का 35 प्रतिशत उसे देगा। आरोपी जुल्फीकार उसके संपर्क में आने वाले प्रसव, पथरी इत्यादि से संबंधित मरीजों को ऑपरेशन के लिए डॉ. नीरज के पास भेज देता था और आरोपी डॉ. नीरज अग्रवाल आरोपी जुल्फीकार को फोन पे के माध्यम से उसका हिस्सा भेज देता था। आरोपी ने पुलिस को बताया है कि वह अभी तक 50 से ज्यादा मरीजों को डॉक्टर नीरज के पास भेज चुका है।
1 दर्जन से ज्यादा लोग रडार पर
पुलिस अधिकारी ने बताया कि डॉ. नीरज के मोबाइल से अभी तक एक दर्जन से ज्यादा लोगों के नम्बर मिले हैं। यह नम्बर लगातार आरोपी के सम्पर्क में हैं और आरोपी लगातार उन्हें पैसे भेजता रहा है। पुलिस ने उन सभी आरोपियों के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी है। इन आरोपियों में सरकारी कर्मचारी, मेडिकल स्टोर संचालक और सफाईकर्मी तक शामिल है। पुलिस इन सभी लोगों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। डॉ. नीरज पूछताछ के दौरान लगातार अपने बयान भी बदल रहा है। जिसके चलते पुलिस अभी तक वह मशीन बरामद नहीं कर सकी है, जो मेडिकल सेंटर में ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल की जाती थी।
दो ऑपरेशन किए, बच्चे की हो गई मौत
डॉ. नीरज के खिलाफ वर्ष 2011 में शशिभूषण नाम के एक शख्स ने शिकायत दी थी। पुलिस को दी शिकायत में शशिभूषण ने बताया कि उसकी पत्नी को पेट दर्द की शिकायत थी। जिसके बाद वह उसे मेडिकल सेंटर लेकर गया था। जहां डॉ. नीरज ने एक माह में एक ही बिमारी के लिए दो ऑपरेशन कर दिए थे। पीड़ित ने बताया कि आरोपी ने उससे 2.10 लाख रुपए भी लिए थे। पीड़ित का आरोप है कि पत्नी की तबीयत खराब होने पर जब उसने डॉक्टर का विरोध किया तो उसने मरीज को सड़क पर बैठा दिया। जिसके बाद वह पुलिस के पास भी गए थे। शशिभूषण ने बताया कि उसकी पत्नी गर्भवती थी, लेकिन डॉक्टर नीरज के उपचार के चलते उसके बच्चे की भी मौत हो गई थी।
डॉक्टर की ड्रेस पहनाकर दिखाए थे मरीज
पीड़ित शशिभूषण ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि डॉ. नीरज ने उससे जबरन डॉक्टर की ड्रेस पहनाकर अस्पताल में आने वाले मरीजों की जांच कराई थी। करीब 1 घंटे तक शशिभूषण ने डॉक्टर बनकर अस्पताल में मरीजों को देखा था। जिसके एवज में डॉक्टर नीरज ने उसकी पत्नी का उपचार करने के लिए कहा था, लेकिन बिना उपचार किए ही उन्हें अस्पताल से निकाल दिया।
ज्ञात हो कि अक्टूबर में मेडिकल सेंटर में एक शख्स को उपचार के लिए भर्ती किया गया था। जहां डॉक्टर ने उसका ऑपरेशन कर दिया और उसकी मौत हो गई। परिजनों की शिकायत के बाद जीके थाना एसएचओ अजीत कुमार, एसआई श्रीभगवान की टीम ने जांच शुरू की और सामने आया कि इस मेडिकल सेंटर में बड़ी संख्या में मरीजों की ऑपरेशन के बाद मौत हुई है। जांच में सामने आया कि सर्जरी करने वाले डॉक्टरों में शामिल एक शख्स के पास फर्जी डिग्री है। जबकि बाकि डॉक्टर मेडिकल के है, बावजूद इसके वह सर्जरी कर रहे थे। पुलिस ने मामले में अभी तक पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।