कुदरत के दिए मौके को दिल्ली वालों ने गंवाया
-प्रतिबंध के बावजूद जमकर हुई आतिशबाजी, धुआं ही धुआं छाया
नई दिल्ली। कहते हैं कुदरत बार बार मौका नहीं देती! लेकिन वह प्रत्येक इंसान को आगे बढ़ने का एक मौका जरूर देती है। अब सवाल यह उठता है कि इंसान इसका लाभ उठा पाता है? ऐसा ही एक मौका कुदरत ने वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर और धुंध से पिछले कई दिनों से परेशान दिल्लीवासियों को बीते गुरुवार को रातभर हुई बारिश के जरिए दिया, जिसके कारण लोगों को राहत मिली और राजधानी में वायु गुणवत्ता में स्पष्ट सुधार देखा गया। बावजूद इसके बारिश दिल्लीवालों को जो एक मौका दिया था, उसे उन्होंने दिवाली की रात गंवा दिया। रविवार को दिल्ली में प्रतिबंध के बावजूद दिवाली के दिन हुई जमकर आतिशबाजी के कारण सोमवार को प्रदूषण का स्तर फिर काफी बढ़ गया और सुबह धुंध छाया रहा। देश की राजधानी में रविवार को दिवाली के दिन आठ वर्षों में सबसे बेहतर वायु गुणवत्ता दर्ज की गई थी। इस दौरान 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अपराह्न चार बजे 218 दर्ज किया गया था। हालांकि, रविवार देर रात तक आतिशबाजी होने से कम तापमान के बीच प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई। सुबह सात बजे एक्यूआई 275 (खराब श्रेणी) पर था। शादीपुर (315), आयानगर (311), लोधी रोड (308), पूसा (355) और जहांगीरपुरी (333) सहित कुछ क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गया। इन क्षेत्रों में पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही। आतिशबाजी से राजधानी के ओखला और जहांगीरपुरी सहित कई स्थानों पर सुबह के समय पीएम 2.5 की सांद्रता 1,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में पिछले साल दिवाली पर एक्यूआई 312, 2021 में 382, 2020 में 414, 2019 में 337, 2018 में 281, 2017 में 319 और 2016 में 431 दर्ज किया गया था। दिवाली के एक दिन बाद शहर का एक्यूआई 2015 में 360, 2016 में 445, 2017 में 403, 2018 में 390, 2019 में 368, 2020 में 435, 2021 में 462 और 2022 में 303 था। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच अच्छा , 51 से 100 के बीच संतोषजनक , 101 से 200 के बीच मध्यम , 201 से 300 के बीच खराब , 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 450 के बीच गंभीर माना जाता है। एक्यूआई के 450 से ऊपर हो जाने पर इसे अति गंभीर श्रेणी में माना जाता है। इस दिवाली से ठीक पहले रुक-रुक कर हुई बारिश और तेज हवा के चलते राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार और रविवार को आसमान साफ रहा और धूप खिली रही। राजधानी में 28 अक्टूबर से दो सप्ताह तक हवा की गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर तक रही और इस अवधि के दौरान राजधानी में दमघोंटू धुंध छाई रही। पिछले तीन वर्षों के रुझान को देखते हुए दिल्ली ने राजधानी के भीतर पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की थी। दिल्ली में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने वाले डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में रविवार को पीएम 2.5 के 35 प्रतिशत प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से निकला धुआं जिम्मेदार था। सोमवार को इसके 22 फीसद और मंगलवार को 14 फीसद रहने के आसार हैं। आंकड़ों में यह भी पाया गया कि परिवहन, दिल्ली में प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण है, जिसका पिछले कुछ दिनों में दिल्ली की खराब हवा में 12 से 14 प्रतिशत का योगदान रहा।