दिल्ली विधानसभा उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने जल बोर्ड में धन की कमी का मामला याचिका समिति को भेजा
-अधिकारियों ने दिल्ली जल बोर्ड का धन रोका : भारद्वाज
आसिफ खान
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में बुधवार को जल बोर्ड में धन की कमी का मामला सत्तापक्ष के सदस्यों ने पुरजोर तरीके से उठाया। जिसके बाद विधानसभा की उपाध्यक्ष राखी बिड़ला ने इस मामले को विधानसभा की याचिका समिति को भेज दिया है। और समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने सत्तापक्ष के सदस्य दिनेश मोहनिया द्वारा विधानसभा में पेश ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा कि अधिकारी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) को धन मुहैया कराने में बाधा डाल रहे हैं, जिसकी वजह से विभाग की कई परियोजनाएं धन की कमी के कारण अधर में हैं। दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के साथ धन की कमी पर चर्चा में भाग लेते हुए मंत्री भारद्वाज ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना पर इस मुद्दे की जानकारी होने के बाद भी कुछ नहीं करने का आरोप लगाया। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान जल बोर्ड की परियोजनाओं को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। बहस के दौरान सत्तापक्ष के सदस्यों ने कहा कि अधिकारी धन जारी नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से उनके निर्वाचन क्षेत्रों में परियोजनाएं बाधित हो रही हैं वहीं भाजपा विधायकों ने कहा कि आप सरकार ‘अपनी अक्षमताओं’ का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की आदि हो गई है। भारद्वाज ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान मीटर की रीडिंग लेने वाले कर्मचारी रीडिंग लेने नहीं जा पाए और उस दौरान बिल नहीं बनाए गए। कुछ मामलों में जहां बिल बनाए गए, उनका भुगतान नहीं किया गया। लेकिन इस बार जल बोर्ड काम कर रहा है तो उन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। रोजमर्रा के खर्च का भुगतान पूंजीगत धन के माध्यम से किया गया, जो 1,500 करोड़ रुपये था। सौरभ ने कहा कि वित्त विभाग के एक अधिकारी ने सवाल किया कि 1500 करोड़ रुपये कहां खर्च किये गये। मंत्री ने कहा कि उन्होंने हमसे सवाल किया कि हम राजस्व पर पूंजीगत धन कैसे खर्च कर सकते हैं। हमने उनसे दो हजार करोड़ रुपये देने का अनुरोध किया लेकिन वे फाइलें वापस भेजते रहे। सौरभ ने कहा कि वे (अधिकारी) 500 करोड़ रुपये देंगे क्योंकि 1,500 करोड़ रुपये पहले ही आपको दिए जा चुके हैं। भारद्वाज ने विधानसभा को बताया कि पिछले छह महीनों में कोई भी नई परियोजना शुरू नहीं हुई है क्योंकि उनके पास धन ही नहीं है। भारद्वाज ने दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी से डीजेबी को वित्त आवंटित करने की अनुमति देने का आग्रह किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जल बोर्ड ही एकमात्र विभाग नहीं है, जिसे परेशान किया जा रहा है। दिल्ली विधानसभा की याचिका समिति को शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इससे पहले, सरकारी अस्पतालों में डाटा प्रविष्टि करने वाले विभिन्न ऑपरेटर को भी हटा दिया गया था तथा मोहल्ला क्लीनिकों में मुफ्त जांच और वृद्धावस्था पेंशन का भुगतान भी रोक दिया गया था।
-जल बोर्ड का घाटा 72 हजार करोड़ कैसे हो गया, इसकी सीबीआई जांच हो : बिधूड़ी
दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने सदन के विशेष सत्र में जल बोर्ड पर हुई चर्चा के दौरान कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 2014 में जो जल बोर्ड 500 करोड़ रुपए के फायदे में था, अब 72 हजार करोड़ रुपए के घाटे में कैसे चला गया? 2016 से दिल्ली जल बोर्ड के खातों का सीएजी ऑडिट क्यों नहीं कराया गया? पानी के बिलों में करोड़ों रुपए का घोटाला कैसे हो गया? जल बोर्ड अतिरिक्त पानी क्यों उपलब्ध नहीं करा पाया और यमुना की सफाई के लिए केंद्र द्वारा दिए गए 8500 करोड़ रुपए का हिसाब जल बोर्ड क्यों नहीं दे रहा? बिधूड़ी द्वारा उठाए गए सवालों का जल मंत्री सौरभ भारद्वाज कोई जवाब नहीं दे पाए। बिधूड़ी ने जल बोर्ड के क्रियाकलाप की सीबीआई जांच की मांग की है। जल बोर्ड पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बिधूड़ी ने कहा कि जल बोर्ड भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा बन गया है। उन्होंने कहा कि जल बोर्ड के खातों की 2016 से सीएजी जांच नहीं कराई गई जिसके लिए न केवल सीएजी ने कई चिट्ठियां लिखीं बल्कि दिल्ली कोर्ट ने निर्देश भी जारी किया लेकिन उसके बावजूद खातों का ऑडिट नहीं हुआ। जल बोर्ड के पानी की स्थिति यह है कि उसने खुद ही करीब 7500 सैंपल उठाए लेकिन उनमें से 2500 के करीब फेल हो गए। जल बोर्ड ने जिस बैंक को उपभोक्ताओं से बिलों का भुगतान वसूलने का अनुबंध किया, उसने यह अनुबंध आगे किसी और को दे दिया जोकि नियम विरुद्ध था। केंद्र सरकार द्वारा दो अवसरों पर दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 8500 करोड़ रुपए की राशि दी गई और इस राशि का हिसाब केंद्र बार-बार पूछ रहा है लेकिन दिल्ली सरकार जवाब नहीं दे रही। बिधूड़ी ने जल मंत्री सौरभ भारद्वाज से पूछा कि आखिर हिमाचल प्रदेश से करार के बाद भी दिल्ली को पानी क्यों नहीं मिला और उत्तर प्रदेश के मुरादनगर से 150 एमजीडी पानी मिलने की घोषणा के बावजूद यह पानी क्यों नहीं मिल पाया? बिधूड़ी ने मांग की है कि जल बोर्ड के घाटे और खातों में चल रही गड़बड़ के सारे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।