नई दिल्ली। एम्स में इलाज करवाने आ रहे मरीजों की समस्याओं को दूर करने के लिए रोगी शिकायत निवारण प्रणाली तैयार होगी। इसकी मदद से मरीज अपनी समस्या का हल पा सकेंगे। साथ ही एम्स आधुनिक तकनीक की मदद जान पाएगा कि एम्स में आने वाले मरीजों को किस विभाग में किस तरह की परेशानी हो रही है। इस सेवा की शुरूआत मातृ एवं शिशु ब्लॉक से होगी। बाद में इस सेवा का विस्तार अन्य सभी विभागों में किया जाएगा।
दरअसल एम्स ने रोगी शिकायत निवारण प्रणाली को विकसित करने केलिए गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते की मदद से रोगी देखभाल में सुधार लाया जाएगा। एम्स की ओपीडी में रोजाना 10 से 20 हजार मरीज आते है। इनके अलावा एम्स में प्रति दिन 50 हजार के करीब लोग रहते है। इनमें से कई मरीजों की शिकायत रहती है कि उनका उपचार सही से नहीं हो पा रहा है। कई बार जांच को लेकर भी सवाल उठाए जाते है। ऐसे मे इस प्रणाली की मदद से उन सवाल को दूर करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही सेवा में पारदर्शिता, जवाबदेही और रोगी संतुष्टि को बढ़ावा मिलेगा।
इस बारे में एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास ने कहा कि यह ऐतिहासिक है। नवाचार और विशेषज्ञता का उपयोग करके रोगी देखभाल को बेहतर बनाएंगे। वहीं आईपी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ. महेश वर्मा ने कहा कि एम्स के साथ हमारा सहयोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा मे पहल है।
मिलेगी निशुल्क सुविधा
एम्स में मरीजों की सुविधा के लिए आईपीयू का यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ऑटोमेशन एंड रोबोटिक्स यूएसएआर (यूएसएआर) और यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ डिजाइन एंड इनोवेशन (यूएसडीआई) प्लेटफार्म तैयार करेगा। यह अपनी तरह का पहला मंच होगा जो रोगी देखभाल के लिए एक अग्रणी दृष्टिकोण दे सकता है। एम्स की मीडिया प्रभारी प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने कहा कि यह सुविधा एम्स को नि:शुल्क उपलब्ध होगी।
यह होंगे दायरे में
रोगी शिकायत निवारण प्रणाली के व्यापक दायरे में रोगी उपचार, नैदानिक अभ्यास, नर्सिंग देखभाल, कल्याण योजनाओं के कार्यान्वयन, स्वच्छता, सुरक्षा, बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के प्रबंधन सहित अन्य सभी सेवाएं होंगी। इन सभी पहलुओं को एकीकृत प्रणाली से चलाने के लिए काम किया जाएगा।