कम्युनलिज्म पूरे देश के लिए एक गंभीर खतरा है: जमाअत 

नई दिल्ली। कम्युनिलिज्म पूरे देश के लिए एक थ्रेट है और हम सब को मिलकर इसके खिलाफ जद्दोजहद करनी चाहिए। ये बातें जमाअत इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने बुधवार को जमाअत इस्लामी हिन्द के मुख्यालय में आयोजित मासिक प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए कही। अमीर जमाअत ने बताया कि जमाअत की नई चार वर्षीय योजना में देश की जनमत में सकारात्मक परिवर्तन लाने को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। इस्लाम और इस्लामी शिक्षाओं के बारे में गलतफहमियों को दूर किया जाना चाहिए। इस्लाम की शिक्षाओं की मुख्य विशेषताएं यह हैं कि वे किसी विशेष संप्रदाय या समुदाय के लिए नहीं हैं, बल्कि सभी मनुष्यों की भलाई, उनके सांसारिक कल्याण, भविष्य में उनके उद्धार और सभी को न्याय और निष्पक्षता प्रदान करने के लिए हैं। जमाअत इसे हमारे देश के लोगों के सामने रखना चाहती है। सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि जमाअत की चार साल की योजना में देश के विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच संबंधों को सुधारने को काफी महत्व दिया गया है। संवाद और चर्चा का माहौल बनना चाहिए और नफरत खत्म होनी चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर के सा-साथ राज्यों और इकाइयों के स्तर पर विभिन्न गतिविधियां और अभियान चलाए जाएंगे। विभिन्न स्तरों पर संवाद और चर्चा के लिए मंचों को बढ़ावा दिया जाएगा। बुद्धिजीवियों, धार्मिक नेताओं, आम लोगों, नागरिक समाज, युवाओं और महिलाओं के बीच मंच तैयार किया जाएगा, जिसके माध्यम से विभिन्न धार्मिक समूहों को एक-दूसरे के करीब लाया जाएगा। सभी के लिए कल्याण और न्याय प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने का माहौल तैयार किया जाएगा। जमाअत ने यह भी तय किया है कि देश में पाई जाने वाली आम बुराइओं जैसे जातिवाद, कट्टरत , लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों का हनन, भ्रूणहत्या, दहेज, नशा, भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ नियमित अभियान चलाया जाएगा। पर्यावरण संकट के संबंध में इस्लामी दृष्टिकोण को स्पष्ट किया जाएगा और पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार के विशेष उपाय किए जाएंगे।जमाअत के कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के भीतर सुधारों को भी विशेष महत्व दिया गया है। समाज को जागरूक किया जाएगा। उन्हें इस्लाम का पालन करने और इस्लाम का प्रतीक बनने के लिए राजी करने का प्रयास किया जाएगा। इस्लाम के उन पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिन पर सुधारवादी आंदोलनों ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया है।

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