संत दर्शन सिंह जी महाराज आध्यात्मिक ज्योति के मार्गदर्शक: संत राजिन्दर सिंह जी

 

नई दिल्ली। महान सूफी-संत शायर दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज (14 सिंतबर, 1921-30 मई, 1989) के 34वें बरसी भंडारे का कार्यक्रम सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज के पावन सान्निध्य में कृपाल बाग, दिल्ली में आयोजित किया गया। संत दर्शन सिंह जी महाराज ने प्रभु के दिव्य-प्रेम, दया और अपनी ज़िंदगी के जीते-जागते उदाहरण के द्वारा लाखों लोगों को अध्यात्म और ध्यान-अभ्यास के मार्ग पर चलाया।


इस अवसर पर हजारों की संख्या में उपस्थित भाई-बहनों को संबोधित करते हुए संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि, संत दर्शन सिंह जी महाराज ने हम सभी के लिए रूहानियत का मार्ग खोल दिया। उनका जीवन और उनके द्वारा सिखाई गई शिक्षाओं के द्वारा हम यह जान सकते हैं कि किस तरह से हमें सही मायनों में अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। उनके अंदर प्रभु का प्रेम समाया हुआ था और वे चाहते थे कि हम भी ध्यान-अभ्यास द्वारा उस प्रेम को अनुभव करें, ताकि सही मायनों में हम अपनी आत्मा का अनुभव कर अपने जीवन के परम ध्येय पिता-परमेश्वर को पाने के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ें।


सत्संग के कार्यक्रम से पूर्व पूजनीया माता रीटा जी ने 16वीं सदी की भक्त मीरा बाई जी की वाणी से ‘दरस बिन दूखन लागे नैन’ शब्द का गायन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने उनकी शिक्षाओं को समझाते हुए कहा कि संत दर्शन सिंह जी महाराज श्आध्यात्मिक ज्योति के मार्गदर्शकश् थे।
संत दर्शन सिंह जी महाराज फ़रमाया करते थे कि रूहानियत का मार्ग, प्रेम का मार्ग है। हमारी आत्मा प्रभु की ज्योति और प्रेम से भरपूर है और इस सच्चाई का हमें अनुभव करना चाहिए। जब हम ध्यान-अभ्यास द्वारा अपने ध्यान को बाहर की दुनिया से हटाकर अंतर्मुख करते हैं तो हम सदा-सदा की खुशी और आनंद को पा लेते हैं।
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आगे कहा कि सूफी-संत शायर संत दर्शन सिंह जी महाराज ने अपनी रूहानी शायरी और शिक्षाओं के ज़रिये अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को खोल-खोलकर हमें समझाया, जिसके द्वारा हम अध्यात्म की ज्योति का अनुभव कर मानवता से प्रभु-एकता की ओर बढ़ सकते हैं। उनकी शिक्षाएं हमारे जीवन की हरेक अवस्था में हमारा मार्गदर्शन करती हैं, जो हमें अपने अंदर प्रभु के दिव्य-प्रेम से जोड़ती हैं।
अंत में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने कहा कि वे आज से 34 साल पहले इस धरती को छोड़कर चले गए लेकिन उनका प्रेम और शिक्षाएं आज भी हमारे अंग-संग हैं। यदि हम उनको सही मायनों में याद करना चाहते हैं तो उनके वचनों को अपने जीवन में ढालें और उनके द्वारा दिखाए गए रूहानियत के मार्ग पर चलें। वे चाहते थे कि हम प्रतिदिन ध्यान-अभ्यास में समय दें ताकि हमारी आत्मा का मिलाप पिता-परमेश्वर में हो सके।
इस अवसर पर अनेक प्रकार के समाज-कल्याण कार्यक्रम आयोजित किए गए। गर्मी की इस तपती धूप में मिशन के सेवादारों ने संत दर्शन सिंह जी महाराज की प्यार भरी याद में 30 मई, 2023 को दिल्ली के 105 प्रमुख स्थानों के अलावा भारत के अनेक राज्यों कीं प्रमुख जगहों पर लोगों की सेवा में मीठे व ठंडे पानी की छबीलें लगाई गईं।
सावन कृपाल रूहानी मिशन द्वारा 31 मई, 2023 को कृपाल बाग़, दिल्ली में 60वें रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें ——- भाई-बहनों ने स्वैच्छिक रूप से रक्तदान किया।
31 मई को ही एक अन्य कार्यक्रम ‘वस्त्र वितरण समारोह’ कृपाल बाग़, दिल्ली में ही आयोजित हुआ। जिसमें मिशन की ओर से गरीब व बेसहारा भाई-बहनों व बच्चों को वस्त्र, जूते व खिलौने आदि का वितरण किया गया।
इसके अलावा 31 मई, 2023 को ही कृपाल बाग़, दिल्ली में हुए एक अन्य कार्यक्रम में मिशन के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने सफदरजंग अस्पताल के शारीरिक रूप से विकलांग मरीजों को व्हील चेयर, ट्राई साईकिल, बैसाखियाँ आदि उपकरण भेंट किए।
इस अवसर पर शांति अवेदना सदन, राज नगर नई दिल्ली में कैंसर पीड़ित रोगियों को भी मिशन की ओर से दवाईयाँ, फल व अन्य उपयोगी वस्तुओं का मुफ्त वितरण किया गया।
संत दर्शन सिंह जी महाराज ने हजूर बाबा सावन सिंह जी महाराज और परम संत कृपाल सिंह जी महाराज के नाम पर ”सावन कृपाल रूहानी मिशन“ की स्थापना सन् 1974 में की। संत दर्शन सिंह जी महाराज ने संत-मत की पुरातन तालीम को न सिर्फ एक सरल और सहज तरीके से पेश किया बल्कि इसका अनुभव भी लाखों लोगों को कराया।
संत दर्शन सिंह जी महाराज को उर्दू और फारसी की अपनी ग़ज़लों के कारण भारत के एक महान सूफी-संत शायर के रूप में जाना जाता है। उनको उनके काव्य-संग्रहों के लिए दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की उर्दू अकादमियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। हाल ही में संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने मंजिले-नूर का अंग्रेजी भाषा में अनुवादित पुस्तक श्।इवकम वि स्पहीजश् का विमोचन किया है। इस पुस्तक को संत दर्शन सिंह जी महाराज ने सन् 1969 में गुरु नानक देव जी महाराज के 500वें प्रकाश-उत्सव पर लिखा था।
दयाल पुरुष संत दर्शन सिंह जी महाराज के 30 मई, 1989 को महासमाधि में लीन होने के पश्चात उनके रूहानी कार्यभार को संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने संभाला और आज वे उनके द्वारा दी गई संत-मत की शिक्षाओं को संपूर्ण विश्वभर में फैला रहे हैं। जिसके फलस्वरूप उन्हें विभिन्न देशों द्वारा अनेक शांति पुरस्कारों व सम्मानों के साथ-साथ पाँच डॉक्टरेट की उपाधियों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सावन कृपाल रूहानी मिशन के संपूर्ण विश्व में लगभग 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैं तथा मिशन का साहित्य विश्व की 55 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित हो चुका है। इसका मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, अमेरिका में स्थित है।

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