स्क्रीनिंग से खत्म हो सकता है थैलेसीमिया, सामूहिक प्रयास की जरूरत : ओम बिरला 

- सर गंगाराम अस्पताल में पिछले 17 साल में की गई 50 हजार से अधिक गर्भधारण की जांच 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर स्क्रीनिंग करके थैलेसीमिया को खत्म किया जा सकता है, इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। हमें कोशिश करना चाहिए कि शादी से पहले लड़का-लड़की की जांच हो जिससे समस्या को पहले ही पकड़ा जा सकें। यह कहना है लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का। मंगलवार को विश्व थैलेसीमिया दिवस के उपलक्ष्य में सर गंगा राम अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि देश के चुने हुए सभी सांसदों की यह जिम्मेदारी हैं कि वह थैलेसीमिया जैसे बीमारी जो एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में जाती हैं उसकी रोकथाम के लिए बड़े स्तर पर जन आंदोलन करें। लोगों को जागरूक कर इसकी संभावनाओं को खत्म करें। राज्य सरकारों को भी इस दिशा में काम करना चाहिए। हमारा सपना होना चाहिए कि देश जल्द से जल्द थैलेसीमिया मुक्त हो जाए, इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है। वहीं इस मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया की तरह थैलेसीमिया को खत्म करने के लिए सरकार राष्ट्रीय मिशन शुरू करेगी। हम भारत से 25 साल में इन बीमारियों को खत्म कर देंगे। वहीं इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देशभर में इस दिशा में प्रयास किया जाएगा। देश में दस लाख 70 हजार से ज्यादा आशा वर्कर हैं। इसके अलावा अन्य स्वास्थ्य कर्मी भी हैं जो रोकथाम के लिए जमीन स्तर पर काम करेंगे।
वहीं इस मौके पर अस्पताल के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन डॉ. अजय स्वरूप ने बताया कि अस्पताल में 2006 के बाद से एक भी थैलेसीमिक बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। अस्पताल में थैलेसीमिया के उपचार के लिए क्लीनिक चलाए जा रहे हैं। इससे पीड़ित बच्चों को सुविधाएं दी जा रही हैं। समारोह के दौरान कैरियर डिटेक्शन के लिए प्वाइंट ऑफ केयर टेस्टिंग के साथ एक स्क्रीनिंग कैंप आयोजित किया गया। यहां परीक्षण उपकरण को भी लॉन्च किया गया। कार्यक्रम से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ने थैलेसीमिक बच्चों से बातचीत की और उन्हें उपहार, दवाइयां और फिल्टर वितरित किए।
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