नई दिल्ली। एक साधारण से कार्यकर्ता से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर पहुंचे वीरेन्द्र सचदेवा ने आखिरकार अपना लोहा मनवा ही लिया। ये ऐसे लोगों के मुंह:पर तमाचा जैसा है जो कि कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने पर उन्हें (वीरेंद्र सचदेवा) टेम्परेरी व्यवस्था बता रहे थे।
दरअसल निगम चुनावों में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया था (या ले लिया गया था ये अलग विषय है)। इसके बाद अचानक वीरेंद्र सचदेव को प्रदेश भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। जिसके बाद उन्हीं के समक्ष पदाधिकारियों ने उन्हें टेम्परेरी व्यवस्था बताया था। जिसके चलते कई पदाधिकारियों ने उनसे दूरी बनाने में ही भलाई समझी। लेकिन जैसे ही उन्हें (वीरेंद्र सचदेव) अध्यक्ष बनाया सबसे पहले वही लोग उन्हें बधाई देने पहुंचे। इतना ही नहीं शुक्रवार को हुए अभिनंदन समारोह में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
यूं ही नहीं मिला अध्यक्ष का पद
वीरेंद्र सचदेव को यूं ही अध्यक्ष का पद नहीं मिला है बल्कि, कार्यकारी अध्यक्ष बनाये जाने के बाद उनके द्वारा निगम चुनावों में मिली हार के बावजूद कार्यकर्ताओं में फिर वही उत्साह भरने का का ईनाम मिला है, इतना ही नहीं कार्यकारी अध्यक्ष रहते दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ़ एक साथ कई मोर्च खोलने का भी परिणाम है।
अध्यक्ष बनते ही कार्यकर्ताओ को दी हिदायत
अध्यक्ष बनने के बाद वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि मेरा परिवार बंटवारे के समय पाकिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आया था। परिवार में किसी ने भी नहीं सोचा था कि उनके परिवार का कोई व्यक्ति इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगा। लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उन्हें यह मौका दिया है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वह अध्यक्ष की नियुक्ति पर होर्डिंग-पोस्टर लगाने के बजाय दिल्ली वालों की सेवा पर ध्यान दें।