नई दिल्ली/हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री (बीआरएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष) के चंद्रशेखर राव 18 जनवरी को खम्मम में विशाल रैली को संबोधित करेंगे। राष्ट्रीय राजधानी में अपनी पार्टी के कार्यालय का शुभारंभ करने के बाद बीआरएस सुप्रीमो के चंद्रशेखर राव द्वारा यह पहला शक्ति प्रदर्शन होगा। अबतक उन्होने कांग्रेस और बीजेपी से पर्याप्त दूरी बनाए रखा है। उन्होंने अपना मुख्य विषय – अबकी बार किसान सरकार – घोषित किया है और वह अपनी रैली में मुख्य मुद्दे के रूप में किसानों की दुर्दशा को रेखांकित करेंगे। केसीआर कम से कम आठ राज्यों में बीआरएस का विस्तार जल्द करेंगे। मुख्य रूप से, वह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिसा, हरियाणा, यूपी, बिहार, हिमाचल और उत्तराखंड में अपने संगठन का विस्तार करेंगे।
इस रैली में केसीआर अपने नेशनल गेमप्लान का खुलासा करेंगे। यह रैली समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों द्वारा राष्ट्रीय एजेंडे पर चलने का संयुक्त शक्ति प्रदर्शन होगा। इस रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान, केरल के मुख्यमंत्री पिनायारी विजयन और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव हिस्सा लेंगे।
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देश की दुर्दशा और किसान के मुद्दों पर देश को संबोधित करेंगे केसीआर
पिछले कई दशकों से सत्ताधारी दलों द्वारा किसानों की उपेक्षा की गई है। देशभर में किसान समाज के हाशिए पर है जबकि किसान देश भर में लगभग 80 प्रतिशत आबादी है। किसी भी सत्ताधारी पार्टी ने अब तक उनकी कमाई बढ़ाने, एमएसपी सुनिश्चित करने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए निरंतर प्रयास नहीं किए हैं। लेकिन तेलंगाना में किसानों की आय में भारी बढोत्तरी हुई है। इसलिए वे देश के समक्ष तेलंगाना माडल प्रस्तुत करेंगे।
बीजेपी को तेलंगाना में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। तेलंगाना में बीजेपी के पास आज भी सबसे कम जनाधार उपलब्ध है। तेलंगाना में पैर जमाने की भाजपा की कोशिशों का अब तक केसीआर के मजबूत राजनीतिक दबदबे पर कोई असर नहीं पड़ा है। खम्मम रैली से केसीआर पूरे देश को अपनी ताकत दिखाने जा रहे हैं कि वे इस वर्ष दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं, साथ ही अगले वर्ष लोक सभा चुनाव के लिए भी उनके पास पर्याप्त जनसमर्थन है। अब वे देशभर में अपने जनाधार का तेजी से विस्तार करेंगे। खम्मम रैली इस बात का संकेत होगी कि केसीआर अपने तेलंगाना में बहुत मजबूत हैं और उन्हें भाजपा सहित विपक्षी दलों के आक्रामक रुख से तंग करना संभव नहीं है।