मल्लिकार्जुन खड़गे बने कांग्रेस के अध्यक्ष
-24 साल बाद गैर गांधी परिवार के कांग्रेस अध्यक्ष बनने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे के बारे में कितना जानते हैं आप?
अमन पांडेय
नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के नए अध्यक्ष बन गए हैं। इस बात पर खुद कांग्रेस पार्टी ने मुहर लगा दी है। मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोट मिले। जबकि उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे शशि थरूर को 1072 वोट मिले। वहीं, 416 वोट अमान्य हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को हुई वोटिंग में कुल 9385 डेलिगेट्स ने वोट डाले थे। कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला। इससे पहले सीताराम केसरी गैर गांधी अध्यक्ष रहे थे। 80 साल के खरगे ने शशि थरूर को बड़े अंतर से अध्यक्ष चुनाव में पराजित किया है।
कांग्रेस में इससे पहले अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए थे। 2000 के चुनाव में सोनिया गांधी ने जितेंद्र प्रसाद को हराकर अध्यक्ष पद हासिल किया था। गांधी परिवार से करीबी और कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के चलते खरगे की दावेदारी पहले ही मजबूत मानी जा रही थी। मतदान से पहले सोनिया गांधी ने कहा था कि मैं इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थी।
खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का पहला रिएक्शन भी आ गया। राहुल गांधी ने कहा है कि अब कांग्रेस में मेरी क्या भूमिका होगी यह नया अध्यक्ष तय करेगा। दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में वोटिंग की गिनती के बाद यह परिणाम घोषित किया गया। हालांकि कहा तो यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार की पहली पसंद तो अशोक गहलोत थे। लेकिन राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के बागी रुख के बाद पूरा खेल बदल गया। राजस्थान प्रकरण के बाद गहलोत ने माफी तो जरूर मांगी लेकिन कांग्रेस आलाकमान का अपने इस भरोसेमंद साथी से विश्वास डगमगा गया। इसके तुरंत बाद कांग्रसे की तरफ से खरगे को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया गया था।
अगर बात खरगे की करें तो वे गांधी परिवार के शुरू से वफादार रहे हैं। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले खड़गे ने एक लंबी पारी यूनियन पॉलिटक्स की भी खेली। साल 1969 में वह एमएसके मिल्स एम्प्लॉयीज यूनियन के कानूनी सलाहकार बन गए। वह संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली नेता थे, जिन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए किए गए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। 80 वर्षीय खड़गे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली।
इसके साथ ही खरगे गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे। साल 1969 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा और 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल असेंबली सीट से विधायक बने। खड़गे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने गुंडूराव, एसएम कृष्णा और वीरप्पा मोइली की सरकारों में विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। वह दो बार गुलबर्गा से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे हैं।