नई दिल्ली। सुभाष चन्द्र बोस के संघर्ष और भारत के स्वाधीनता में योगदान को साकार करता “बोस” सुभाष चन्द्र बोस नाटक का सफल मंचन संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से बारहमासा रंगमंडल द्वारा मुक्तधारा सभागार, गोल मार्केट में किया गया। भारतीय इतिहास में सुभाष चन्द्र बोस सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रता सेनानी थे, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वो वास्तव में भारत के सच्चे बहादुर हीरो थे, जिन्होंने अपनी मातृभूमि की खातिर अपना घर और आराम त्याग दिया। महात्मा गाँधी के साथ कुछ राजनितिक मतभेदों के कारण 1930 में काँग्रेस के अध्यक्ष पद इस्तीफा दे दिया। वो जर्मनी गए, भारतीय युद्ध बंदियों और वहां रहने वाले भारतीय की मदद से राष्ट्रीय सेना का गठन किया। हिटलर से मिलने के बाद नेताजी जापान गए और वहां आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया। आज़ाद हिन्द ने अंग्रेजों के साथ भीषण संघर्ष किया लेकिन दुसरे विश्वयुद्ध के कारण आज़ाद हिन्द फ़ौज को जापान से मिलने वाली मदद समाप्त हो गयी और फ़ौज का विखराव शुरू हो गया। ऐसा माना जाता है कि 1945 में सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु एक प्लेन दुर्घटना में हुयी। सशक्त अभिनय से बारहमासा के कलाकारों ने नेताजी के संघर्ष गाथा को दर्शकों तक पहुँचाया। मनु झा, मनीषा मिश्रा, पूनम सिंह, सुप्रिया सत्यम, नितीश कुमार झा, निर्भय कर्त्तव्य, रोहित कुमार अमन गुप्ता, शुभम, टेन्ज़ींन बोध, मायानन्द झा, राजेश कुमार ‘बेनी’, तरुण झा, रवित चावला, लालू कुमार, रौशन सिंह, ऋत्विक राज, करन चौहान ने अपने सशक्त अभिनय से प्रस्तुति को सफल बनाया। नाटक का संगीत दीपक कुमार ठाकुर तैयार किया था एवं प्रकाश राहुल चौहान का था। इस सफल प्रस्तुति का निर्देशन मुकेश झा ने किया था। दर्शकदीर्घा में कन्हैया चौधरी, सुनीत ठाकुर, अमर नाथ झा, उमाशंकर झा विमल जी मिश्रा, रंगकर्मी पवन कान्त झा, शुभनारायण झा, सुधा झा आदि गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।