बस खरीद की प्रक्रिया में सीवीसी गाइडलाइन का उल्लंघन किया गया: आदेश गुप्ता
-अपने करीबियों की कंपनी जेबीएम को टेंडर दिया ताकि उससे पैसे वापस अपनी जेब में भर सके
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर केजरीवाल सरकार हमेशा से बोलने से बचती रही है और लगातार लोगों का ध्यान भटकाने में जुटी हुई है। 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद-फरोख्त में भ्रष्टाचार के प्रमाण उजागर हो चुके हैं। उन्होंनें कहा कि 7 नवम्बर 2019 को टेंडर डीटीसी बोर्ड में जाना था, अगर डीटीसी बोर्ड में कोई अधिकारी वहां का चेयरमैन होता तो रुकावट डाल सकता था। इसलिए केजरीवाल ने नियम के खिलाफ जाकर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को एक दिन पहले डीटीसी का बोर्ड का चेयरमैन बना दिया जिससे टेंडर बिना किसी रुकावट के पास हो सके।आज एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए आदेश गुप्ता ने कहा कि लो फ्लोर बसों की खरीद में हुए भ्रष्टाचार को काफी सोच समझकर अंजाम दिया गया और जिसकी साजिश बहुत पहले ही रची जा चुकी थी। देश की जानी-मानी प्रतिष्ठित कंपनी ने कम रेट पर इस टेंडर को लेने के लिए आवेदन किया था, लेकिन बावजूद उसके अपने करीबियों की कंपनी जेबीएम को टेंडर दिया ताकि उससे पैसे वापस अपनी जेब में भर सके। उन्होंने कहा कि 1000 लो फ्लोर बसों की खरीद और फिर उसके मरम्मत में जो चार गुना पैसे खर्च किए , उसमें भारी घोटाला किया गया है। प्रेसवार्ता में प्रदेश मीडिया रिलेशन विभाग के प्रभारी हरीश खुराना, प्रदेश भाजापा सह-प्रमुख हरिहर रघुवंशी, प्रदेश प्रवक्ता यासिर जिलानी भी उपस्थित थे।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बस खरीदने में ना ही सीवीसी की गाइड लाइन का पालन किया और ना ही किसी अन्य चीजों का ध्यान रखा। मरम्मत पर चार गुना पैसे देने का तर्क केजरीवाल नहीं समझा पा रहे हैं क्योंकि बस, सीएनजी, कंडक्टर सब कुछ सरकार का है फिर जेबीएम कंपनी को सरकार मेंटेनेंस के नाम पर 35,00 करोड़ रुपये देने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सीवीसी नहीं मानते बल्कि वे मानते हैं सिर्फ ’डीसीसी’ मतलब डायरेक्ट कैश कलेक्शन। आप का पाप सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहना है। केजरीवाल स्कीम से स्कैम तक के सफर में लगातार सक्रिय हैं।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने बस खरीदने में ना ही सीवीसी की गाइड लाइन का पालन किया और ना ही किसी अन्य चीजों का ध्यान रखा। मरम्मत पर चार गुना पैसे देने का तर्क केजरीवाल नहीं समझा पा रहे हैं क्योंकि बस, सीएनजी, कंडक्टर सब कुछ सरकार का है फिर जेबीएम कंपनी को सरकार मेंटेनेंस के नाम पर 35,00 करोड़ रुपये देने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सीवीसी नहीं मानते बल्कि वे मानते हैं सिर्फ ’डीसीसी’ मतलब डायरेक्ट कैश कलेक्शन। आप का पाप सिर्फ भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहना है। केजरीवाल स्कीम से स्कैम तक के सफर में लगातार सक्रिय हैं।