मुकेशभाई अंबानी ने भगवान श्रीनाथजी के किये दर्शन
-प्रभु श्रीनाथजी मंदिर की परंपरा 350 से अधिक वर्ष पुरानी है।
नई दिल्ली। मुकेशभाई अंबानी ने भगवान श्रीनाथजी के दर्शन के लिए नाथद्वारा गए, जो उदयपुर (राजस्थान) के निकट स्थित एक शहर है। भगवान श्रीनाथजी श्रीकृष्ण के 7 वर्षीय स्वरूप हैं, और वे एक ऐसे देवता हैं जिन्होंने पूरे व्रज को अपने प्रेम और लीलाओं का आशीर्वाद प्रदान किया। प्रभु श्रीनाथजी मंदिर की परंपरा 350 से अधिक वर्ष पुरानी है।
धीरूभाई अंबानी और श्रीमती कोकिलाबेन अंबानी के समय से ही अंबानी परिवार की भगवान श्रीनाथ पर अटूट आस्था रही है और वे पुष्टि मार्ग के अनुयायी रहे हैं। इतना ही नहीं, श्री मुकेश अंबानी ने अपने परिवार में होने वाली पहली शादी — यानी अपनी बेटी ईशा अंबानी की शादी में वैवाहिक रस्मों की शुरुआत प्रभु श्रीनाथजी की महाआरती के साथ की थी। उनकी पत्नी और समाजसेवी, श्रीमती नीता अंबानी ने मधुराष्टकम पर एक नृत्य भी प्रस्तुत किया, जिसकी रचना श्री वल्लभाचार्यजी (पुष्टि मार्ग के संस्थापक) ने की थी, और सही मायने में यह भगवान श्रीनाथजी के प्रति प्रेम को प्रदर्शित करता है।
श्री वल्लभाचार्यजी के प्रथम प्रत्यक्ष वंशज- गोस्वामी तिलकायत श्री राकेश जी महाराज नाथद्वारा श्रीनाथजी मंदिर के प्रधान पुजारी और पूरे पुष्टि मार्ग के प्रमुख हैं।
धीरूभाई और उनके बाद मुकेशभाई का श्रीमन तिलकायतजी महाराज तथा उनके सुपुत्र विशाल बावा साहब के साथ संबंध अपने आप में एक विरासत है। श्री विशाल बावा ने भारत और पूरी दुनिया (यूएई, बहरीन, यूएसए) में पुष्टिमार्ग की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार का दायित्व संभाला है, और अब अंबानी परिवार की युवा पीढ़ी भी धर्म से जुड़ रही है।
मुकेशभाई ने राधिका के साथ विशाल बावा का आशीर्वाद लिया और श्री विशाल बावा ने पूरे परिवार को खुशहाली का आशीर्वाद देने के साथ-साथ भारत में 5जी के लॉन्च, खुदरा व्यापार और हरित ऊर्जा सहित सभी नए उपक्रमों के लिए शुभकामनाएँ दी।
अब अनंत अंबानी इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, और वे श्री विशाल बावा के साथ सामाजिक उत्थान को धर्म से जोड़ने के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं। मौजूदा दौर के एक युवा बिजनेस आइकन तथा जीवन जीने के लिए पुष्टिमार्ग से गहराई के साथ जुड़े व्यक्ति के रूप में, श्री अनंत अंबानी इस जुड़ाव को अगली पीढ़ी तक लेकर जाएंगे। क्योंकि पुष्टि एक ऐसा संप्रदाय है जो उदार सोच वाला, अत्यंत सरल और अंधविश्वास को रोकने वाला है। यह संप्रदाय आपको अपने दैनिक जीवन के सभी कार्यों को सामान्य तरीके से पूरा करते हुए भगवान की सेवा और पूजा करने के तरीके के बारे में बताता है। यही तो आपके ‘संसार’ और आपके ‘परब्रह्म’ के बीच सही संतुलन का मार्ग है।